ये हुश्न वाले तिरे हुश्न की तारीफ क्या करूँ
जिसे खुदा ने हुश्न बक्शा उसकी तारीफ़ क्या करूँ
यूँ ही नहीं हैं दीवाने तिरे ये ज़माने वाले
तिरा साथ हो तो ताउम्र तेरी इबादत करूँ
सुलग उठते हैं ये तमाम ज़माने वाले
जब-जब तिरे रूख्सारों की तारीफ़ करूँ
खंजर उतार देना तू मिरे धडकते दिल में
तिरे सिवा जो किसी और का ख्याल भी करूँ
जिसे खुदा ने हुश्न बक्शा उसकी तारीफ़ क्या करूँ
ये हुश्न वाले तिरे हुश्न की तारीफ क्या करूँ
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
जिसे खुदा ने हुश्न बक्शा उसकी तारीफ़ क्या करूँ
यूँ ही नहीं हैं दीवाने तिरे ये ज़माने वाले
तिरा साथ हो तो ताउम्र तेरी इबादत करूँ
सुलग उठते हैं ये तमाम ज़माने वाले
जब-जब तिरे रूख्सारों की तारीफ़ करूँ
खंजर उतार देना तू मिरे धडकते दिल में
तिरे सिवा जो किसी और का ख्याल भी करूँ
जिसे खुदा ने हुश्न बक्शा उसकी तारीफ़ क्या करूँ
ये हुश्न वाले तिरे हुश्न की तारीफ क्या करूँ
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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