तेरे ही तसव्वुर में खोया रहता हूँ मैं
तेरे ही बारे में सोचता रहता हूँ मैं
तू कुछ भी कह ले ऐ मेरी जान-ए-ग़ज़ल
मोहब्बत तुझसे करते रहना चाहता हूँ मैं
तुझसे ज्यादा शोख कौन है दुनिया में
हर किसी से यही पूछता रहता हूँ मैं
तेरे लबों की पाक तबस्सुम की कसम
तुझे हँसते हुए देखना चाहता हूँ मैं
भले ही तू ना लिखे इक ख़त भी मुझे
तुझ पे ही ग़ज़ल लिखता रहता हूँ मैं
तेरे ही बारे में सोचता रहता हूँ मैं
तेरे ही तसव्वुर में खोया रहता हूँ मैं
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
तेरे ही बारे में सोचता रहता हूँ मैं
तू कुछ भी कह ले ऐ मेरी जान-ए-ग़ज़ल
मोहब्बत तुझसे करते रहना चाहता हूँ मैं
तुझसे ज्यादा शोख कौन है दुनिया में
हर किसी से यही पूछता रहता हूँ मैं
तेरे लबों की पाक तबस्सुम की कसम
तुझे हँसते हुए देखना चाहता हूँ मैं
भले ही तू ना लिखे इक ख़त भी मुझे
तुझ पे ही ग़ज़ल लिखता रहता हूँ मैं
तेरे ही बारे में सोचता रहता हूँ मैं
तेरे ही तसव्वुर में खोया रहता हूँ मैं
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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