बहुत रोया मैं उसकी याद में कल रात
आँसुओं से भीगता रहा तकिया कल रात
तेरी बेरुखी का आखिर सबब है क्या
पल-पल यही सोचता रहा कल रात
तुझे इतना चाहने लगा हूँ ऐ ख्वाब
रो-रो के तुझे याद करता रहा कल रात
अक्श-अक्श बेमिसाल हैं तेरे बदन के
प्यार का अंदाज़ याद आता रहा कल रात
हर रोज़ मिलती है खबर तेरी ऐय्यासियो की
कितनो पे है तू मेहरबां सोचता रहा कल रात
तेरी मुकम्मल चाहत नहीं है हासिल मुझे
तवायफ का है प्यार सोचता रहा कल रात
मैं जानता हूँ तेरी हकीकत तेरे फ़साने
अपनी किस्मत पे सर धुनता रहा कल रात
कोई नहीं सुनता कोई नहीं पढ़ता मेरे अशआर
फिर क्यूँ लिखता हूँ गज़लें सोचा किया कल रात
आँसुओं से भीगता रहा तकिया कल रात
बहुत रोया मैं उसकी याद में कल रात
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
bahut achchi ghazal likhi aapne.... ladkiyon kee sachchai likh dee aap ne..
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