मेरे दिल के गुलशन की बहार है तू
जान-ए-जिगर जान-ए-तमन्ना है तू
आ तेरी पेशानी के बलों को गिनूँ
जाने कितना आज परेशां है तू
आ जरा तेरे लबों को चूम लूँ मैं
लोग कहते हैं मोनालिसा सी है तू
क्यूँ डरती है इन दुनियाँ वालों से
कह दे जहाँ से मेरी माशूका है तू
ना जाना कहीं मुझे अकेला छोड़
मेरी हर ग़ज़ल की जान है तू
अब क्यूँ तुझ पे भरोसा करूँ मैं
जाने किस-किस से आशनां है तू
जान-ए-जिगर जान-ए-तमन्ना है तू
मेरे दिल के गुलशन की बहार है तू
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
जान-ए-जिगर जान-ए-तमन्ना है तू
आ तेरी पेशानी के बलों को गिनूँ
जाने कितना आज परेशां है तू
आ जरा तेरे लबों को चूम लूँ मैं
लोग कहते हैं मोनालिसा सी है तू
क्यूँ डरती है इन दुनियाँ वालों से
कह दे जहाँ से मेरी माशूका है तू
ना जाना कहीं मुझे अकेला छोड़
मेरी हर ग़ज़ल की जान है तू
अब क्यूँ तुझ पे भरोसा करूँ मैं
जाने किस-किस से आशनां है तू
जान-ए-जिगर जान-ए-तमन्ना है तू
मेरे दिल के गुलशन की बहार है तू
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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