रविवार, 13 फ़रवरी 2011

बेवफा

बेवफा तुझे अब भी प्यार करता हूँ    
बेवफाई सह कर भी प्यार करता हूँ        
          तू नहीं जानती मेरी नज़र में अपना मक़ाम   
          अनचाहे ही तुझ बेवफा को पुकारा करता हूँ
एक  हसीं  भुलावे  में रखा तुमने सनम 
माशूक नहीं अब हरजाई कहा करता हूँ 
          जो अब पति है तेरा तेरे प्यार का मालिक वो था
          जानते  हुए भी  तुझे ग़ज़लों में सजाये रखता हूँ
वो पल वो मुलाकातें जो फरेब थे तेरी ही तरह  
अब भी उनकी मीठी कसक से दिल बहलाता हूँ
          मेरे  तन-मन  के  ज़र्रे-ज़र्रे  में  तू  बसी  है
          तू इस प्यार के काबिल नहीं जितना करता हूँ 
बेवफाई सह कर भी प्यार करता हूँ   
बेवफा तुझे अब भी प्यार करता हूँ 
                                     --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव 

1 टिप्पणी:

  1. बेवफा तुझे अब भी प्यार करता हूँ
    बेवफाई सह कर भी प्यार करता हूँ
    तू नहीं जानती मेरी नज़र में अपना मक़ाम
    अनचाहे ही तुझ बेवफा को पुकारा करता हूँ
    bahut achchi hai sir ji lagta gahri chot khaye hue ho.........

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