आज तू मेरी ज़िन्दगी से जुदा हो गयी
मैं हूँ तेरी तूने ही तो एक दिन कहा था मुझसे
तेरे उस अल्फाज़ का वजूद कहाँ गुम हो गयी
चार दिनों में मुझ बीमार का हाल भी न पूछा
वो बातों-बातों में फिक्रमंदी तेरी कहाँ खो गयी
तेरे जाने के बाद तुझे आइना-ए-दिल में देखना चाहा
अक्श नज़र ही न आये तू दिल भी खाली कर गयी
तुझ पे ग़ज़ल अब लिखा ही नहीं जाएगा
अब तू ग़ज़लों के काबिल कहाँ रह गयी
यूँ मेरी ज़िन्दगी ही मुझसे जुदा हो गयी
आज तू मेरी ज़िन्दगी से जुदा हो गयी
यूँ मेरी ज़िन्दगी ही मुझसे जुदा हो गयी
रेतीले ख़्वाबों के बेशुमार महल बनाए थे मैंने
गुम हो गए वजूद मुझसे क्या खता हो गयी
मैं हूँ तेरी तूने ही तो एक दिन कहा था मुझसे
तेरे उस अल्फाज़ का वजूद कहाँ गुम हो गयी
चार दिनों में मुझ बीमार का हाल भी न पूछा
वो बातों-बातों में फिक्रमंदी तेरी कहाँ खो गयी
तेरे जाने के बाद तुझे आइना-ए-दिल में देखना चाहा
अक्श नज़र ही न आये तू दिल भी खाली कर गयी
तुझ पे ग़ज़ल अब लिखा ही नहीं जाएगा
अब तू ग़ज़लों के काबिल कहाँ रह गयी
यूँ मेरी ज़िन्दगी ही मुझसे जुदा हो गयी
आज तू मेरी ज़िन्दगी से जुदा हो गयी
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
judai aur bewafaai kaa bayan badi khoobsurti se kiya gaya hai....
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