गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

दहक रहा

सुलग रहा तन मेरा आ जा सनम   
दहक रहा मन मेरा आ जा सनम   

इक आग लगी हैदिल में तेरे चाह की
अपने  इश्क  से  इसे बुझा जा सनम    

आँसू  बहते  ही  जाते  हैं  तेरी याद में
अपनी आँचल में इसे संजो जा सनम  

फ़ना ना हो जाऊं कहीं भूखा ही मैं   
भूख मेरे मन की मिटा जा सनम  

बेचैन  हैं  थिरकने  को  तेरे  बदन पे
उँगलियों को एक मौका दे जा सनम     

दहक  रहा मन मेरा आ जा सनम   
सुलग रहा तन मेरा आ जा सनम
                            --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव       

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