कैसा है अज़ीब ये रिश्ता तेरा मेरा
इक दूजे को धड़कता है दिल तेरा मेरा
इज़ाज़त नहीं देती दुनियाँ ज़ुबां खोलने की
करने को बातें तरस जाता है दिल तेरा मेरा
तेरे बिन दिल ही नहीं लगता कहीं मेरा
जाने कितना पुराना रिश्ता है तेरा मेरा
कितना कंटीला सफ़र गुज़ार रहे हैं हम
हर आहट पे रुकता है कदम तेरा मेरा
बियांवा ज़िन्दगी की तल्ख़ राहों में
इक दूजे को ढूँढ़ता है मन तेरा मेरा
इक दूजे को धड़कता है दिल तेरा मेरा
कैसा है अज़ीब ये रिश्ता तेरा मेरा
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
nice guru ji
जवाब देंहटाएं"बियांवा ज़िन्दगी की तल्ख़ राहों में
जवाब देंहटाएंइक दूजे को ढूँढ़ता है मन तेरा मेरा"
bahut achchha khyal rakha dost....