सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

आप का साथ

आप का साथ और प्यार की बात    
नहीं मुमकिन जीवन में ऐसी बात     

छलक रहे हैं मेरे अरमानों के प्याले    
आप सुनती ही नहीं आँखों की बात

छूने  को  जी  चाहे  अगर कभी  आप  को
रुक जाती हैं उंगलियाँ सोच कर कोई बात  

नींद  ही  नहीं आती अब रातों को मुझे   
हर पल जगाये रखती है आप की बात

चैन  नहीं  करार नहीं इक पल भी मुझे
समाये रहती है ज़ेहन में आप की बात

नहीं मुमकिन जीवन में ऐसी बात     
आप का साथ और प्यार की बात          
                         --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव     

4 टिप्‍पणियां:

  1. छूने को जी चाहे अगर कभी आप को
    रुक जाती हैं उंगलियाँ सोच कर कोई बात
    wahhhhhhh kya baat hai

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  2. भावनाओं पर विचारों का अंकुश ....बहुत अच्छी रचना है...लिखते रहिये यही दुआ करती हूँ..

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  3. नहीं मुमकिन जीवन में ऐसी बात
    आप का साथ और प्यार की बात

    bahut achha
    inn shabdon se aap ke bheetar ke dard ko samjha ja sakta hai...

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  4. bahut khoob yaar........kitni sundar ghazal likhi tumne....padh k maza aa gaya..... tumhari rachanaon me smay k sath-2 khoobsoorti badhti jaa rahi h..

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