शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

एक बात कहूँ

एक बात कहूँ सजनी नाराज ना होना   
बहुत प्यारा लगे मोहे तेरा मुस्कुराना    


बार-बार शरारत किये जाऊँगा सनम
बड़ा मीठा लगे तेरा ना-ना करना  


जांघें  तुम्हारी केले की तने सी हैं 
इन्हें किसी और को ना दिखाना 


विवशताओं  के  पहरे  लगे हैं  हम पर
स्वप्न परी बन रातों को मिलने आना  


अपनी  गीतों  को  तुझ  पे  वार  दूँ अगर
तू मान जाये मुझे अपनी बाहों में समाना 


बहुत प्यारा लगे मोहे तेरा मुस्कुराना
एक बात कहूँ सजनी नाराज ना होना   
                               --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव   

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