प्रकृति की पंखुड़ियाँ
समर्पित खुद के माज़ी के बेशकीमती लम्हातों को .....
सोमवार, 28 फ़रवरी 2011
कथ्य-८
भ्रम के जाल में फँसे
छटपटाते हुए भी
हमें जो सुख मिलता है --
उस भ्रम का झूठ तो हम
सहन कर सकते हैं
सच्चाई नहीं ......
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