रविवार, 20 फ़रवरी 2011

कल भी - आज भी

             
           ("एक ग़ज़ल पर आधारित ")   


कल भी दिल अकेला था आज भी अकेला है  
जाने  मेरी  ज़िन्दगी  में  क्या-क्या लिखा है   

ढूँढता  हूँ  मैं  वफ़ा  उसकी मोहब्बत में
वफ़ा सिर्फ मिलता है अपनी ग़ज़लों में

उम्र  के  कारवां  में  हर  कोई  थका-थका है  
किसका सहारा लें हर कोई सहारा चाहता है 

जाने  मेरी  ज़िन्दगी  में  क्या-क्या लिखा है     
कल भी दिल अकेला था आज भी अकेला है  
                                       --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव  

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