("एक ग़ज़ल पर आधारित ")
कल भी दिल अकेला था आज भी अकेला है
जाने मेरी ज़िन्दगी में क्या-क्या लिखा है
ढूँढता हूँ मैं वफ़ा उसकी मोहब्बत में
वफ़ा सिर्फ मिलता है अपनी ग़ज़लों में
उम्र के कारवां में हर कोई थका-थका है
किसका सहारा लें हर कोई सहारा चाहता है
जाने मेरी ज़िन्दगी में क्या-क्या लिखा है
कल भी दिल अकेला था आज भी अकेला है
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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