नेट के रिश्ते हैं भी क्या दोस्तों
बस बुलबुले हैं पानी के दोस्तों
चले आते हैं लोग तलाश में बहुतेरों की
झूठ की कोई इन्तहां नहीं यहाँ दोस्तों
डालते हैं चारा करते हैं शिकार मछलियाँ
बस अपना स्वार्थ करते हैं पूरा दोस्तों
एक वक़्त तमाम से करेंगे दावा-ए-इश्क
ज़ज्बातों की क़द्र ही नहीं यहाँ दोस्तों
वफ़ा के कद्रदानों कदम ना रखना यहाँ
छले जाओगे छलनी होगा दिल दोस्तों
जाने कितने मुखौटे चढ़े मिलेंगे चेहरे पे
यहाँ असल सूरत ही भूल जाते हैं दोस्तों
झूठ,फरेब,खुदगर्जी,बेवफाई की दुनिया है ये
बेमौत मरना है तो चले आओ यहाँ दोस्तों
बस बुलबुले हैं पानी के दोस्तों
नेट के रिश्ते हैं भी क्या दोस्तों
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
बस बुलबुले हैं पानी के दोस्तों
चले आते हैं लोग तलाश में बहुतेरों की
झूठ की कोई इन्तहां नहीं यहाँ दोस्तों
डालते हैं चारा करते हैं शिकार मछलियाँ
बस अपना स्वार्थ करते हैं पूरा दोस्तों
एक वक़्त तमाम से करेंगे दावा-ए-इश्क
ज़ज्बातों की क़द्र ही नहीं यहाँ दोस्तों
वफ़ा के कद्रदानों कदम ना रखना यहाँ
छले जाओगे छलनी होगा दिल दोस्तों
जाने कितने मुखौटे चढ़े मिलेंगे चेहरे पे
यहाँ असल सूरत ही भूल जाते हैं दोस्तों
झूठ,फरेब,खुदगर्जी,बेवफाई की दुनिया है ये
बेमौत मरना है तो चले आओ यहाँ दोस्तों
बस बुलबुले हैं पानी के दोस्तों
नेट के रिश्ते हैं भी क्या दोस्तों
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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