बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

सबब ना पूछो

मेरी बर्बादी का सबब ना पूछो     
मेरी उदासी का सबब ना पूछो    


बड़ी वीरान ज़िन्दगी गुज़र रही है मेरी
इस  वीरानगी  का  तुम सबब ना पूछो 


तलाश है आज भी एक हमसफ़र की
मेरी  इस  तलाश  का सबब ना पूछो         


प्यासा हूँ मैं सावन के मौसम में भी
यारों  इस  प्यास का सबब ना पूछो     


बावफ़ा  से बेवफ़ा हो गया हूँ  मैं भी
मेरी इस बेवफ़ाई का सबब ना पूछो     


उसे भी समझने की कोशिश में हूँ मैं
मेरी इस कोशिश का सबब ना पूछो    


उसकी चाहत में ही गज़लें लिखता हूँ
मेरी  इस  चाहत   का सबब ना पूछो     


मेरी उदासी का सबब ना पूछो  
मेरी बर्बादी का सबब ना पूछो  
                      --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव 

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