शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

आस

आस  लगाए बैठा हूँ
शून्य से जीवन में
अवतरित होने वाली
एक रश्मि का
जो
प्रकाश स्तम्भ बन
मंजिल रहित जीवन
को
दिखा सके
मंजिल की गुम्बदें
                --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव  

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