आ जा सनम पास मेरे तुझे मैं प्यार करूँगा
बाँहों में तेरे आते ही प्यार की बौछार करूँगा
बैठ करीब मेरे ऐ मेरे दिल की सुकून
तेरी खातिर तुझ पे इक ग़ज़ल लिखूंगा
बड़े बदनसीब हैं हम मिल ही नहीं पाते
तूने चाहा अगर तो मैं तुझे ख़त लिखूंगा
तेरे दीदार को तरस रही हैं आँखें मेरी
आखिर कब तक तेरा मैं इंतज़ार करूँगा
रात भीगी-भीगी और तन्हाई का आलम
तू खुद सोच तेरे बगैर कैसे सो सकूँगा
बाँहों में तेरे आते ही प्यार की बौछार करूँगा
आ जा सनम पास मेरे तुझे मैं प्यार करूँगा
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
बाँहों में तेरे आते ही प्यार की बौछार करूँगा
बैठ करीब मेरे ऐ मेरे दिल की सुकून
तेरी खातिर तुझ पे इक ग़ज़ल लिखूंगा
बड़े बदनसीब हैं हम मिल ही नहीं पाते
तूने चाहा अगर तो मैं तुझे ख़त लिखूंगा
तेरे दीदार को तरस रही हैं आँखें मेरी
आखिर कब तक तेरा मैं इंतज़ार करूँगा
रात भीगी-भीगी और तन्हाई का आलम
तू खुद सोच तेरे बगैर कैसे सो सकूँगा
बाँहों में तेरे आते ही प्यार की बौछार करूँगा
आ जा सनम पास मेरे तुझे मैं प्यार करूँगा
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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