सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

कथ्य - ४

यह
प्रीत, प्यार का जो नाटक 
हम लोग जवानी में खेलते हैं 
केवल समय बिताने वाली बात है
          और वह भी अस्थाई भावना के अंतर्गत..
          
          यदि ध्यानपूर्वक देखा जाय तो प्रेम

          की असफलता मनुष्य को निठल्ला
और कायर बना देती है...

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