रविवार, 13 फ़रवरी 2011

बदलाव

आँखों को प्रिय 
चेहरे
अनजाने हो जाते हैं
बेक़रार रहते हैं 
जिनके लिए 
सामने से निकल जाते हैं 
पर देखते नहीं उन्हीं को 
कुछ और नहीं सोचते थे 
जिसके अतिरिक्त 
अब तो सब कुछ सोचते हैं 
उसके अतिरिक्त  
सारी दुनिया में सबसे प्रिय था 
जो चेहरा
सारी दुनियां में सबसे घृणित है 
वही चेहरा
छन भर भी परेशां ना देख सकते थे
जिस शख्स को
परेशानियों के भँवर में डाल दिया
उसी शख्स को
आखिर क्यों
बदल जाया करता है 
मनुष्य का 
प्रेम औ' अपनापन ??
                      --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव 

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