कभी सोचा तुमने इसका सिला क्या होगा
रंग भरने के बाद जलवा-ए-तस्वीर क्या होगा
गीतों में ही खोये रहते हो तुम तो
ग़ज़लों का मौसम आया तो क्या होगा
शीशों के घरों में रहने की ख्वाहिश रखते हो
सोचो इक पत्थर आ पड़ा तो क्या होगा
उस चंचल हसीना पे इतराते हो इस कदर
सोचो बेवफा निकल गई तो क्या होगा
रंग भरने के बाद जलवा-ए-तस्वीर क्या होगा
कभी सोचा तुमने इसका सिला क्या होगा
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
रंग भरने के बाद जलवा-ए-तस्वीर क्या होगा
गीतों में ही खोये रहते हो तुम तो
ग़ज़लों का मौसम आया तो क्या होगा
शीशों के घरों में रहने की ख्वाहिश रखते हो
सोचो इक पत्थर आ पड़ा तो क्या होगा
उस चंचल हसीना पे इतराते हो इस कदर
सोचो बेवफा निकल गई तो क्या होगा
रंग भरने के बाद जलवा-ए-तस्वीर क्या होगा
कभी सोचा तुमने इसका सिला क्या होगा
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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