शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

तू है क्या शै

तू  है  क्या शै  मैं  ये सोचता हूँ    
तू मेरी है या नहीं ये सोचता हूँ      

प्यार में बेवफाई ही पा रहा हूँ मैं
मोहब्बत है क्या मैं ये सोचता हूँ

तेरा आना तेरा जाना कब होता है 
अक्सर  मैं  यही  बातें  सोचता हूँ

तू सिर्फ मेरी ही बन के रहे ताउम्र
कैसे  हो मुमकिन ये मैं सोचता हूँ

कितने घरौंदे बना रखे हैं तूने दिल में
सुनकर  तेरे  बारे  में  यही सोचता  हूँ    

तू मेरी है या नहीं ये सोचता हूँ  
तू  है  क्या शै  मैं  ये सोचता हूँ      
                         --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव 

1 टिप्पणी:

  1. "कितने घरौंदे बना रखे हैं तूने दिल में
    सुनकर तेरे बारे में यही सोचता हूँ "

    sanjay ji, sahi likha aap ne ladkiyon ke dil mein jaane kitne gharaunde hote hain jinme jaane kitne ladke rahte hain

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