ढूँढ़ता रहा उन्हें जो जाने कहाँ खो गए हैं
चाहता रहा उन्हें जो बेगाने हो गए हैं
भीगी पलकों से जाते देखते रहे उनको
जो फिर ना आने की कसमें खा गए हैं
क्या बताऊँ उसकी इनायतों के बारे में
वो तो तमाम उम्र के लिए दर्द दिए गए हैं
क्या-क्या मिला मुझे उनकी सोहबत से
वो तो मेरी तमाम चीज़ें लेते गए हैं
सोचा मँझधार से निकल किनारा पाऊंगा
वो तो रुसवाइयों के भँवर में छोड़ गए हैं
बेवफाई है क्या चीज़ मुझे ना थी मालूम
वो मुझे बेवफाई का मतलब बतला गए हैं
वो भी क्या दिन थे नूर था मैं उनकी आँखों का
वो खुशनुमां पल जाने कहाँ गुम हो गए हैं
वो चाहते हैं मुझे इस मुगालते में रहा मैं
वो तो जाने कब बेवफाई कर गए हैं
चाहता रहा उन्हें जो बेगाने हो गए हैं
ढूँढ़ता रहा उन्हें जो जाने कहाँ खो गए हैं
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
चाहता रहा उन्हें जो बेगाने हो गए हैं
भीगी पलकों से जाते देखते रहे उनको
जो फिर ना आने की कसमें खा गए हैं
क्या बताऊँ उसकी इनायतों के बारे में
वो तो तमाम उम्र के लिए दर्द दिए गए हैं
क्या-क्या मिला मुझे उनकी सोहबत से
वो तो मेरी तमाम चीज़ें लेते गए हैं
सोचा मँझधार से निकल किनारा पाऊंगा
वो तो रुसवाइयों के भँवर में छोड़ गए हैं
बेवफाई है क्या चीज़ मुझे ना थी मालूम
वो मुझे बेवफाई का मतलब बतला गए हैं
वो भी क्या दिन थे नूर था मैं उनकी आँखों का
वो खुशनुमां पल जाने कहाँ गुम हो गए हैं
वो चाहते हैं मुझे इस मुगालते में रहा मैं
वो तो जाने कब बेवफाई कर गए हैं
चाहता रहा उन्हें जो बेगाने हो गए हैं
ढूँढ़ता रहा उन्हें जो जाने कहाँ खो गए हैं
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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