गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

कल रात

कल रात  तू मेरे ख्वाबों में चली आई 
कल रात  तू मुझसे मिलने चली आई 

बहुत दिनों से सोच रहा था तुझसे मिलूं  
अच्छा  हुआ  तू  मुझे बुलाने चली आई    

कैसी  बेवज़ह  ज़िन्दगी  गुज़र रही थी
तू वज़ह बन के ज़िन्दगी में चली आई    

हम एक दूजे को चाहते हैं कह ही ना सके
जब  कहा  तो  गैर  से तेरी सगाई हो गई    

मैंने तुझे फकत प्रेमिका ही समझा था
तू  मेरी  बीबी  बनने  को  चली  आई  

कल रात  तू मुझसे मिलने चली आई 
कल रात  तू मेरे ख्वाबों में चली आई
                                      ---- संजय  स्वरुप श्रीवास्तव  

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