कल रात तू मेरे ख्वाबों में चली आई
कल रात तू मुझसे मिलने चली आई
बहुत दिनों से सोच रहा था तुझसे मिलूं
अच्छा हुआ तू मुझे बुलाने चली आई
कैसी बेवज़ह ज़िन्दगी गुज़र रही थी
तू वज़ह बन के ज़िन्दगी में चली आई
हम एक दूजे को चाहते हैं कह ही ना सके
जब कहा तो गैर से तेरी सगाई हो गई
मैंने तुझे फकत प्रेमिका ही समझा था
तू मेरी बीबी बनने को चली आई
कल रात तू मुझसे मिलने चली आई
कल रात तू मेरे ख्वाबों में चली आई
---- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
---- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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