कमीना हूँ मैं
तथ्य ही कहा तुमने
सत्य ही कहा तुमने
कमीना ना होता तो
तुम्हें दिल में बसाता ही क्यों
चांदनी रातों को जागता ही क्यों
अब-अब ठंडी छाँव मिलेगी
सोच-सोच कर
तेरी केशों की तपन में जलता ही क्यों
तेरी तपन से ज़िन्दगी झुलसाता ही क्यों
कमीना ना होता तो
बदनामियों के बोझ काँधे पर उठाता ही क्यों
अपनी आकांक्षाओं को कुचलता ही क्यों
कमीना ही कहा तुमने
सत्य ही कहा तुमने
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
तथ्य ही कहा तुमने
सत्य ही कहा तुमने
कमीना ना होता तो
तुम्हें दिल में बसाता ही क्यों
चांदनी रातों को जागता ही क्यों
अब-अब ठंडी छाँव मिलेगी
सोच-सोच कर
तेरी केशों की तपन में जलता ही क्यों
तेरी तपन से ज़िन्दगी झुलसाता ही क्यों
कमीना ना होता तो
बदनामियों के बोझ काँधे पर उठाता ही क्यों
अपनी आकांक्षाओं को कुचलता ही क्यों
कमीना ही कहा तुमने
सत्य ही कहा तुमने
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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