तेरी यादों के घरौंदे में बैठा हूँ
कैसे कटेगी ज़िन्दगी सोचता हूँ
नहा कर अपनी आँसुओं से मैं
यादों के दर्पण में खुद को देखता हूँ
थका देती हैं जब इन्तज़ार की घड़ियाँ
तेरी तसव्वुर का बिस्तर बिछा लेता हूँ
जब कभी सताती है मुझे दुनिया ये
तिरे प्यार का आँचल ओढ़ लेता हूँ
कैसे कटेगी ज़िन्दगी सोचता हूँ
तेरी यादों के घरौंदे में बैठा हूँ
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
थका देती हैं जब इन्तज़ार की घड़ियाँ
जवाब देंहटाएंतेरी तसव्वुर का बिस्तर बिछा लेता हूँ
waah...waah... subhanallah ... bahut khoob dost..
ek pyari rachna sanjay ji....
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