जब भी चांदनी रातों को भोगा मैंने
तेरी जुल्फों का साया महसूस किया मैंने
ये खूबसूरत फिजायें यूँ ही गुजरी जाती हैं
बता ऐ दिलनशीं क्या खता किया मैंने
देखो अच्छा नहीं यूँ तेरा नखरे करना
तुझे ही दिया है सौगात प्यार का मैंने
तेरे-मेरे दिल एक पर तन हैं क्यूँ जुदा
मरकर पूछूँगा खुदा से की क्या खता मैंने
हुश्न की रानाइयाँ इश्क की लज्ज़त है क्या
तुझसे मोहब्बत कर के ही ये जाना मैंने
दिल में तू आँखों में भी तू ही है
फिर भी तेरे लिए इन्हें तड़पता देखा मैंने
तेरी जुल्फों का साया महसूस किया मैंने
जब भी चांदनी रातों को भोगा मैंने
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
तेरी जुल्फों का साया महसूस किया मैंने
ये खूबसूरत फिजायें यूँ ही गुजरी जाती हैं
बता ऐ दिलनशीं क्या खता किया मैंने
देखो अच्छा नहीं यूँ तेरा नखरे करना
तुझे ही दिया है सौगात प्यार का मैंने
तेरे-मेरे दिल एक पर तन हैं क्यूँ जुदा
मरकर पूछूँगा खुदा से की क्या खता मैंने
हुश्न की रानाइयाँ इश्क की लज्ज़त है क्या
तुझसे मोहब्बत कर के ही ये जाना मैंने
दिल में तू आँखों में भी तू ही है
फिर भी तेरे लिए इन्हें तड़पता देखा मैंने
तेरी जुल्फों का साया महसूस किया मैंने
जब भी चांदनी रातों को भोगा मैंने
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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