मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

कथ्य - ३

भावना, 
भावना होती है, 
उसे महसूस किया जाता है, 
उसे जिया जाता है....
वह हमारी बड़ी निजी चीज़ होती है. 
पर जिस भाव को कोई रूप ना मिल सके, 
जिसे किसी के सामने स्वीकारा ना जा सके, 
उसकी क्या पहचान हुई   ??? 
बहुत अच्छा लगता है ऐसा सोचना कि 
अधिकार मन से होता है, 
पर बहुत पीड़ा होती है 
यह सोच कर कि 
तुम मेरे कुछ नहीं हो, कोई नहीं हो, मात्र भुलावा हो.....

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