शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

गीत लिखा है

मैंने एक गीत लिखा है आओ तुम्हें सुनाता हूँ         
शब् के ख्वाबों को दिल के आईने में दिखाता हूँ       
मोहब्बत की सिहरन है मदमस्त फिजाओं में
एक दिल की  अंगडाई  है दिलकश नजारों में
आओ इन फिजाओं इन नज़ारों को दिखाता हूँ
खुशबु है फैली हुई मेरे दिल से उसके दिल तक 
आओ इन राहों में इश्क का एहसास करता हूँ      
धड़कते  दिल  की  सदा मेरे होठों पे मचल रही है   
लब से लब मिलने दो प्यार की सरगम सुनाता हूँ
कौन आ  बसा है मेरे  ख्वाबों ख्यालों की दुनिया में
आ झांक ज़रा दिल में तुझे उसकी सूरत दिखाता हूँ
अपनी  मजबूरियां दिखा के किसी दिन चली जायेगी
इस तल्ख़ हकीकत से रोजाना दो-चार हुआ करता हूँ 
तुम्हारी खामोश होठों की नरमियों की कसम
ये मेरी हैं मेरी ही रहने देना  तुम्हें  बताता हूँ
शब् के ख्वाबों को दिल के आईने में दिखाता हूँ  
मैंने  एक गीत लिखा है आओ तुम्हें सुनाता हूँ   
                                       --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव 

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