मैंने भी की मोहब्बत ज़माने वालों
मेरा भी टूटा है दिल ज़माने वालों
दर्द-ए-दिल की लज्ज़त होती है कैसी
मैंने भी जायका पाया है ज़माने वालों
कितना हसीं लगता है चेहरा मेरे यार का
मैंने आज गुस्से में उसे देखा ज़माने वालों
यार की बेरुखी क्या-क्या गुल खिलाती है
आज खूं के आँसू रोया मैं ज़माने वालों
मर जाने की दुआ करते हैं क्यूँ लोग
अब ये राज जाना मैंने ज़माने वालों
मेरा भी टूटा है दिल ज़माने वालों
मैंने भी की मोहब्बत ज़माने वालों
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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