मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

कथ्य-६

हम सोचते हैं कि 


हम अपनों के बिना जिंदा नहीं रह सकते, 


उनके बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते,  


पर जब जीने की बात सोच लेते हैं तो .. . .   


या जीने पर विवश ही कर दिए जाते हैं    


तो जीने भी लगते हैं ........

1 टिप्पणी:

  1. बिलकुल सच कहा है तुमने यहाँ संजय /अपने प्रिये के बिना इन्सान जीने की कल्पना भी नहीं कर्पता है जब तक उस के साथ रहता है /पर सच तो ये है वो जीता है उस के न रहने पर भी /अब वो काहे दिखावे के लिए ही खुश रहे पर खुश रहता है

    जवाब देंहटाएं