हम सोचते हैं कि
हम अपनों के बिना जिंदा नहीं रह सकते,
उनके बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते,
पर जब जीने की बात सोच लेते हैं तो .. . .
या जीने पर विवश ही कर दिए जाते हैं
तो जीने भी लगते हैं ........
हम अपनों के बिना जिंदा नहीं रह सकते,
उनके बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते,
पर जब जीने की बात सोच लेते हैं तो .. . .
या जीने पर विवश ही कर दिए जाते हैं
तो जीने भी लगते हैं ........
बिलकुल सच कहा है तुमने यहाँ संजय /अपने प्रिये के बिना इन्सान जीने की कल्पना भी नहीं कर्पता है जब तक उस के साथ रहता है /पर सच तो ये है वो जीता है उस के न रहने पर भी /अब वो काहे दिखावे के लिए ही खुश रहे पर खुश रहता है
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