नयनों
की
सीमा में
इठलाती आई,
दृगों
की राह
दिल में
समाई,
बाहों में मेरी
शर्माती आई
सुशुप्त भावों
को
हिलोर गई !
कौन ??
पता नहीं......... !!
------ संजय स्वरुप श्रीवास्तव
की
सीमा में
इठलाती आई,
दृगों
की राह
दिल में
समाई,
बाहों में मेरी
शर्माती आई
सुशुप्त भावों
को
हिलोर गई !
कौन ??
पता नहीं......... !!
------ संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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