सावधान !!!
समय रहते चेतो
क्यों प्राण देते हो अपने
इस मक्रजाल में फंस कर
क्या
तुम्हारी इच्छा तड़प-तड़प कर
मरने की है
ओह...... अच्छा.......
तो तुम भावुक पुरुष हो
तब तो कवि भी होगे
ठीक है तुम मर सकते हो
क्योंकि
तुम्हारे भाग्य में लिखा ही है
ठोकरें खाना औ"
मक्रजाल में फंस
तड़प-तड़प के प्राणहीन होना
तुम्हारी मौत से सबक लेंगे
खुशनुमा ख्वाबों को पालने वाले
औ'
स्वप्न लोक में जीने को इच्छुक लोग
---- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
समय रहते चेतो
क्यों प्राण देते हो अपने
इस मक्रजाल में फंस कर
क्या
तुम्हारी इच्छा तड़प-तड़प कर
मरने की है
ओह...... अच्छा.......
तो तुम भावुक पुरुष हो
तब तो कवि भी होगे
ठीक है तुम मर सकते हो
क्योंकि
तुम्हारे भाग्य में लिखा ही है
ठोकरें खाना औ"
मक्रजाल में फंस
तड़प-तड़प के प्राणहीन होना
तुम्हारी मौत से सबक लेंगे
खुशनुमा ख्वाबों को पालने वाले
औ'
स्वप्न लोक में जीने को इच्छुक लोग
---- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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