काश ......
मैं अंधा होता---
तो
मेरे नयन
न उलझते
उसकी
सपनों में खोई
अमिया की फाँक
सी
सीपिया नयनों
से
मैं अंधा होता---
तो
मेरे नयन
न उलझते
उसकी
सपनों में खोई
अमिया की फाँक
सी
सीपिया नयनों
से
काश ......
मैं अंधा होता---
तो
चक्षु-पथ न पाती
वो मेरे
दिल में समाने
को
काश ......
मैं अंधा होता---
तो
पलकें न बिछ्तीं
पहरों मेरी
उसकी प्रतीक्षा
में
काश ......
मैं अंधा होता
----- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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