रविवार, 30 जनवरी 2011

पहली बार

पहले-पहल जब तूने मुझे देखा होगा         
तेरी चिलमनें हया से झुक गयी होंगी

इज़हार-ए-मोहब्बत मुझ पर करना चाहा होगा
तुम्हारी लब  लेकिन  थरथराती रह गयी होंगी 

मेरी नज़रें उठी होंगी जब तुम्हारी तरफ
तेरी चिलमनें उनसे उलझी रह गई होंगी

पहले  पहल  जब  मैंने  तुझे  छुआ  होगा
सर से पाँव तलक तू सिहर-सिहर गयी होगी


पहले पहल जब तूने मुझे ख़त लिखा होगा
उंगलियाँ तेरी  हिचक में  कंपकंपाई होंगी


तेरे ख्वाबों ख्यालों में चला आया होऊंगा
जब  बेचैन हो  के  तू  मुझे  पुकारी होगी


पहले पहल जब मैं तुझे याद आया होऊंगा
तेरी आँखें  मेरी तसव्वुर में खो गयी होंगी


तेरी चिलमनें हया से झुक गयी होंगी
पहले-पहल जब  तूने मुझे देखा होगा
                                      --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव  














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