पल भर का भी साथ बहुत होता है
ज़िन्दगी भर कौन साथ निभाता है
क्यूँ करते हो उम्मीद किसी से वफ़ा की
वफ़ा का नाम ही यहाँ अब कौन जानता है
क्यूँ इन हसीनाओं पे करते हो ऐतबार
खुदगर्ज़ बेवफा हैं ये ज़माना जानता है
चुनते रहोगे ताउम्र टुकड़े टूटे दिल के
इनकी शोहबत का यही नतीजा होता है
क्यों सोचते हो वो सिर्फ तेरी माशूका है
ये फक्र तमाम लोगों को हासिल होता है
छोडो देखना ख्वाब इन्हें हमसफ़र बनाने का
तुम्हारी किस्मत में सिर्फ भटकना लिखा है
तू भले ही फिरे अंग-अंग में समाये मोहब्बत
इनके सीने में दिल की जगह पत्थर होता है
पहले उकसाना फिर तड़पता छोड़ देना
ये तो इनकी फितरत में शामिल होता है
क्या पाओगे तुम खून-ए-दिल बहाने से
इससे तो इन्हें पुरलुत्फ हासिल होता है
ज़िन्दगी भर कौन साथ निभाता है
पल भर का भी साथ बहुत होता है
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
ज़िन्दगी भर कौन साथ निभाता है
क्यूँ करते हो उम्मीद किसी से वफ़ा की
वफ़ा का नाम ही यहाँ अब कौन जानता है
क्यूँ इन हसीनाओं पे करते हो ऐतबार
खुदगर्ज़ बेवफा हैं ये ज़माना जानता है
चुनते रहोगे ताउम्र टुकड़े टूटे दिल के
इनकी शोहबत का यही नतीजा होता है
क्यों सोचते हो वो सिर्फ तेरी माशूका है
ये फक्र तमाम लोगों को हासिल होता है
छोडो देखना ख्वाब इन्हें हमसफ़र बनाने का
तुम्हारी किस्मत में सिर्फ भटकना लिखा है
तू भले ही फिरे अंग-अंग में समाये मोहब्बत
इनके सीने में दिल की जगह पत्थर होता है
पहले उकसाना फिर तड़पता छोड़ देना
ये तो इनकी फितरत में शामिल होता है
क्या पाओगे तुम खून-ए-दिल बहाने से
इससे तो इन्हें पुरलुत्फ हासिल होता है
ज़िन्दगी भर कौन साथ निभाता है
पल भर का भी साथ बहुत होता है
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
संजय जी बहुत सुंदर अभी अभीक्ति की है बेवफाई की
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रजनी जी ..... ज़िन्दगी जो कुछ भी सिखाती है उसे अपनी दोस्त इन रचनाओं के गले लग के सुना देता हूँ..........
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