गुरुवार, 27 जनवरी 2011

अपेक्षा

ख्वाबों में आइये
ख्यालों में आइये
छुप के धड़कनों में मुस्कुराइए
              आँखों में आइये
              बाँहों में आइये
              थरथराते लबों से अभिसार गीत गुनगुनाइए
उदासियों में आइये
तन्हाइयों में आइये
वीरानी दिल की आबाद कीजिये
              रातों में आइये
              दिनों में आइये
              मासूमी अदाओं से शर्माइये
जब भी आप चाहिए
बेधड़क चले आइये
सुलगते अरमानों में मचलिये
               पर --
मौत जब आये
आप न आइये
सुकून से प्राणहीन मुझे होने दीजिये
                                      --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव



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