कभी तू ज़हर कभी अमृत सी लगे है
कभी तू अपनी कभी परायी सी लगे है
मेरे तसव्वुर में खोई तेरी आँखें
कभी जागती कभी सोयी सी लगे है
ये नज़रें मेरी नहीं और मेरी भी हैं
दिल में गडी मीठी छुरी सी लगे है
सोचा अब निकल जाऊं तेरी ज़िन्दगी से
हर दफा ये बात मुश्किल सी लगे है
जानता हूँ मैं कोई नहीं हूँ तेरा पर
जाने क्यूँ तू अपनी-अपनी सी लगे है
तुझसे मिलने तेरे घर जाऊं या न जाऊं
राहों पे कदम मेरे हिचकती सी लगे है
शोख तेरी आँखों में डूबने के बाद
प्यार वफ़ा की बातें झूठी सी लगे है
कभी तू अपनी कभी परायी सी लगे है
कभी तू ज़हर कभी अमृत सी लगे है
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
कभी तू अपनी कभी परायी सी लगे है
मेरे तसव्वुर में खोई तेरी आँखें
कभी जागती कभी सोयी सी लगे है
ये नज़रें मेरी नहीं और मेरी भी हैं
दिल में गडी मीठी छुरी सी लगे है
सोचा अब निकल जाऊं तेरी ज़िन्दगी से
हर दफा ये बात मुश्किल सी लगे है
जानता हूँ मैं कोई नहीं हूँ तेरा पर
जाने क्यूँ तू अपनी-अपनी सी लगे है
तुझसे मिलने तेरे घर जाऊं या न जाऊं
राहों पे कदम मेरे हिचकती सी लगे है
शोख तेरी आँखों में डूबने के बाद
प्यार वफ़ा की बातें झूठी सी लगे है
कभी तू अपनी कभी परायी सी लगे है
कभी तू ज़हर कभी अमृत सी लगे है
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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