ज़न्नत नज़र आया नकाब हटते ही
खुशबुओं का झोंका आया उसके आते ही
मालूम नहीं था मेरी मुकद्दर में वो है
अपनी तकदीर पे इतरा रहा हूँ उसे पाते ही
वो इश्क की घाटी का बाशिंदा है शायद
दिल में ख्याल आया उस हसीं को देखते ही
खुदा ने गमकते फूलों से ही उसे बनाया है
अहसास ये हुआ उसे आगोश में समोते ही
हर इक शफे में फकत वो ही महफूज़ है
जाना है मैंने किताब-ए-दिल खोलते ही
दिल दिया है जान भी दे दूंगा एक दिन
दिल से जिंदगी से ख्यालों से तेरे जाते ही
खुशबुओं का झोंका आया उसके आते ही
ज़न्नत नज़र आया नकाब हटते ही
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
खुशबुओं का झोंका आया उसके आते ही
मालूम नहीं था मेरी मुकद्दर में वो है
अपनी तकदीर पे इतरा रहा हूँ उसे पाते ही
वो इश्क की घाटी का बाशिंदा है शायद
दिल में ख्याल आया उस हसीं को देखते ही
खुदा ने गमकते फूलों से ही उसे बनाया है
अहसास ये हुआ उसे आगोश में समोते ही
हर इक शफे में फकत वो ही महफूज़ है
जाना है मैंने किताब-ए-दिल खोलते ही
दिल दिया है जान भी दे दूंगा एक दिन
दिल से जिंदगी से ख्यालों से तेरे जाते ही
खुशबुओं का झोंका आया उसके आते ही
ज़न्नत नज़र आया नकाब हटते ही
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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