मैं नहीं जानता तू इतनी सुन्दर क्यों है
कोई मुझे बताये वो इतनी सुन्दर क्यूँ है
मेरी नज़रें ज़ब भी उसे देखती हैं
दिल में मेरे हलचल होती क्यों है
तेरे सौंदर्य को आत्मसात करना चाहा
मेरी भावनाएं पर इतनी बेबस क्यूँ हैं
मोम की सदृश मेरी भावनाएँ पिघल उठीं
तू बाँकी चितवन मुझ पे डालती क्यों है
तेरा संगमरमरी बदन मेरी पूँजी है
इसके लिए मुझे तरसाती क्यों है
मैं तुझे तू मुझे प्राणाधिक प्रिय हैं
फिर अपने भाग्य पर हम रोते क्यों हैं
हर बार पहले से अधिक तू सुन्दर दिखी है
तू ही बता दे राज इसका छुपाती क्यों है
तेरे अप्रतिम सौन्दर्य को देख सोचता हूँ
तू मेरे नहीं किसी अन्य के भाग्य में क्यों है
कोई मुझे बताये वो इतनी सुन्दर क्यूँ है
मैं नहीं जानता तू इतनी सुन्दर क्यों है
---- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
कोई मुझे बताये वो इतनी सुन्दर क्यूँ है
मेरी नज़रें ज़ब भी उसे देखती हैं
दिल में मेरे हलचल होती क्यों है
तेरे सौंदर्य को आत्मसात करना चाहा
मेरी भावनाएं पर इतनी बेबस क्यूँ हैं
मोम की सदृश मेरी भावनाएँ पिघल उठीं
तू बाँकी चितवन मुझ पे डालती क्यों है
तेरा संगमरमरी बदन मेरी पूँजी है
इसके लिए मुझे तरसाती क्यों है
मैं तुझे तू मुझे प्राणाधिक प्रिय हैं
फिर अपने भाग्य पर हम रोते क्यों हैं
हर बार पहले से अधिक तू सुन्दर दिखी है
तू ही बता दे राज इसका छुपाती क्यों है
तेरे अप्रतिम सौन्दर्य को देख सोचता हूँ
तू मेरे नहीं किसी अन्य के भाग्य में क्यों है
कोई मुझे बताये वो इतनी सुन्दर क्यूँ है
मैं नहीं जानता तू इतनी सुन्दर क्यों है
---- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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