गुरुवार, 27 जनवरी 2011

वादा

मुद्दतों बाद आज
मिलने का करार है उनसे
पर,
आशा छीण होती जा रही है
मिलन की
धड़कन मद्धम होती जा रही है
दिल की
क्योंकि
मेघपुष्प-
थमने के आसार नज़र नहीं आते
वर्षात का अटूट सिलसिला ज़ारी है
साथ ही
सजनी की
सलोनी सूरत दर्शन को
दिल की तड़पन ज़ारी है
अब तो
अम्बर तले उनको सीने से लगा के
भीगने की स्पृहा जारी है
साथ ही
जुल्मी ज़माने की
इच्छा दमन चक्र
जारी है
             ------ संजय स्वरुप श्रीवास्तव

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