जाने कहाँ चली गई नींद आँखों से !
आज छिन गया ख्वाब भी पलकों से!!
फ़क़त चार दिन तो हुए हैं आप को गए हुए !
यूँ लगता है आपसे बिछुड़े हैं हम बरसों से !!
जाने क्या हो गया है मेरे दिल को !
बहलता नहीं आपकी तस्वीरों से !!
आप तो चली जाती हैं मुझे तनहा छोड़ !
पूछिए हाल मेरा मेरे तड़पते रोओं से !!
होंगी आप खूब गहरी नींद में इस वक़्त !
मैं बहला रहा हूँ दिल अपनी अशआरों से !!
आज छिन गया ख्वाब भी पलकों से!!
जाने कहाँ चली गई नींद आँखों से !
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
आप के पास भाव वियक्त करने को शब्द है ........इश्वर की आप पर किर्पा है
जवाब देंहटाएंआप के पास भाव वियक्त करने को शब्द है ........इश्वर की आप पर किर्पा है
जवाब देंहटाएंवाह... उत्कृष्ट, भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंshukriya bhashkar ji
जवाब देंहटाएं@ रजनी जी ..... ईश्वर तथा आप को भी धन्यवाद ....
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