मैं तो बातें किया करूँगा जनम-जनम की
जाने कितने प्यासे हैं हम इक दूजे के लिए
देखो आ गए प्यास बुझाने पिछले जनम की
तमाम बातें रह गयीं थीं करने को तुझसे
आ सब कुछ कह डालें हम उस जनम की
क्या थे, कैसे थे, मिले थे या बिछुड़ गए थे
जाने क्या था याद नहीं कुछ उस जनम की
हम और पहले भला क्यूँ नहीं मिल सके
तेरे बिन वो दिन रीते बीते इस जनम की
आ सजनी कर लें वादा हम एक दूजे से
साथ गुजारेंगे हर पल इस जनम की
तुझे चाहा था, चाहता हूँ, चाहता रहूँगा
चाहत मेरी तेरे लिए है जनम-जनम की
मैं तो बातें किया करूँगा जनम-जनम की
तुम भले ही बातें करो सिर्फ इस जनम की
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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