मुझको मेरा हमनशीं रुला-रुला गया है !
अश्क-ए-जुदाई से आँखें मेरा भर गया है !!
तफरीह की खातिर जो छोड़ा शहर आपने !
सारा शहर उसी दम से वीरान हो गया है !!
कैसा करिश्मा है आप की मोहब्बत का !
मुझको मुझसे ही जुदा कर गया है !!
कहिये तो राज-ए-दिल कह दूँ आपसे !
दिल मेरा मिरा साथ छोड़ गया है !!
आप की जुदाई में क्या हाल है क्या कहूँ !
इक-इक पल दिल पे पत्थर रख गया है !!
आपकी हँसी आपकी आवाज़ सूरत आपकी !
सनम इन सबको मन मेरा तरस गया है !!
अश्क-ए-जुदाई से आँखें मेरा भर गया है !
मुझको मेरा हमनशीं रुला-रुला गया है !! --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
तफरीह की खातिर जो छोड़ा शहर आपने !
जवाब देंहटाएंसारा शहर उसी दम से वीरान हो गया है !!
bahut achchhe Sanjay ji.... mahbooba k bahar jane par hue dard ko khoob bayan kiya aapne...