कैसे कह दूँ तुझे अलविदा ऐ सनम
कैसे करूँ यादें दिल से जुदा ऐ सनम
इसी छत तले चढ़ा है परवान प्यार मेरा
कैसे भुला सकूँगा इस छत को ऐ सनम
जीते जी कैसे करे अलग दिल कोई
सुकून ना पा सकूँगा कभी ऐ सनम
दिल छलनी हुआ जा रहा हैं सत्रावसान से
जाने क्या तू सोचती होगी आज ऐ सनम
ये बरामदा ये रूम तुझे मेरी याद दिलाएंगे
तू जब कभी यहाँ आएगी जाएगी ऐ सनम
जब भी देखोगी सनद तुम बी०एड० की
तेरे ख्यालों में मैं चला आऊंगा ऐ सनम
आँखों-आँखों में किये हैं जो बातें हमने
बताओ क्या उन्हें भूल जाओगी ऐ सनम
तुझे ऐतबार ही नहीं मेरे पाकीज़ा प्यार पे
जुबान कांपती है कुछ कहने से ऐ सनम
कुछ नहीं चाहता विश्वास के सिवा दीवाना
चाहत वफ़ा प्यार सब तेरे लिए हैं ऐ सनम
ये और बात है तुझे नहीं है प्यार मुझसे
जर्रा-ए-बदन में तू ही बसी है ऐ सनम
शायद आम बातें हों ये तेरी नज़रों में
मैंने तो तेरी ही आरज़ू की है ऐ सनम
कैसे करूँ यादें दिल से जुदा ऐ सनम
कैसे कह दूँ तुझे अलविदा ऐ सनम
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
जब भी देखोगी सनद तुम बी०एड० की
जवाब देंहटाएंतेरे ख्यालों में मैं चला आऊंगा ऐ सनम
आँखों-आँखों में किये हैं जो बातें हमने
बताओ क्या उन्हें भूल जाओगी ऐ सनम
college ko chhodte tym dil ko kitni taklif hoti hai...ise bakhubi bayan kiya gaya h.... badhai ho