तुझे याद कर-कर के पी रहा हूँ
खुदगर्ज़ तूने सिर्फ खुद को सोचा
मैं तुझे सोच-सोच कर पी रहा हूँ
ऐसा जख्म दिया है तूने सनम
मैं आज रो-रो कर पी रहा हूँ
क्यूँ छुड़ा लिया तूने दामन अपना
मैं तो खुद के खारे आँसू पी रहा हूँ
कैसे जिऊँगा तेरे बगैर तूने नहीं सोचा
मैं तेरी बेरुखी पर सीना पीट कर पी रहा हूँ
तू चाहता है मैं तुझे भूल जाऊं ऐ बेदर्द
तेरे दिए दर्द से परेशां हो के पी रहा हूँ
तुझे याद कर-कर के पी रहा हूँ
तेरी तस्वीर देख कर पी रहा हूँ
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएं...कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.
sudhanyvad bhashkar ji....
जवाब देंहटाएं