सोमवार, 7 मार्च 2011

क्या हो गया है

क्या हो गया है  
मुझे ??
लिखने को शब्द नहीं मिलते
मुझे !
सब कुछ गडमड 
हो गया है !
ऐसा प्रतीत होता है
जैसे कुछ
खो गया है !
अपने विचारों को
संजो नहीं पा रहा मैं !
जीवन को
समझ नहीं पा रहा मैं !
क्या होना है
क्या होगा मेरा ??
जो चाहता हूँ
वो नहीं है मेरा  !
हे ईश्वर !!
किस असमंजस में
डाला है तूने ??
किस पल लिखा भाग्य
मेरा तूने ??
इतने दुःख सहने योग्य
क्या मैं ही
दिखा था तुझे ??
मैं भूखा हूँ
जन्म ही से 
परन्तु  
व्यंजनों से भरी
जो थाल रखी है मेरे सामने
उसे छूने से किया है मना उसने
मेरी दोस्तों -- मेरी ग़ज़लों, मेरी कविताओं !!
कुछ तुम्हीं बताओ
इसका कोई हल सुझाओ
मैं क्या करूँ ??
जिउं या मर जाऊं ??
कोई शिकायत 
नहीं मुझे उससे !
बहुत कुछ मिला है
अब तक मुझे उससे !
पर क्या करूँ
समाप्त ही नहीं होती
इच्छाएँ मेरे मन की !
उड़ान भरना चाहती हैं 
परहीन ये
मुक्त गगन की !
कोई समझाए इन्हें
सत्यानाश कर बैठेंगी 
अपने सुकोमल तन की !
अपनी चिंता ही नहीं
इन्हें
आकाश छूने की चाह में !
इन्हें पता ही नहीं
लहूलुहान हो जाएँगी
ये राह में !
अब तो जो भी हो परिणाम 
मरुँ या जिंदा रहूँ मैं 
नहीं छोडूँगा चाहना उसे मैं
क्योंकि
बहुत हठी हूँ मैं !
ये सच है
कि
प्यार करता हूँ मैं
उस वीरबहूटी को !
प्रतिछन  सम्मुख 
चाहता हूँ मैं
उस सुंदरी को !
प्रतिपल सुनना चाहता हूँ
स्वर मैं
उस देवी का !
अभीप्सा है 
मेरी हर साँस में
घुली हो देहगंध
उस मोहिनी की !
मेरे संग-संग उठें कदम 
उस प्रेमपरी के !
क्यों नहीं पूरी होतीं 
मेरी इच्छाएँ
क्यों नहीं सच होता
मेरा कोई सपना ??
यूँ लगा है
जीवन मेरा बन जायेगा
एक सपना !
आश्रित हो कर रह गया हूँ
अपने सपनों पर
मैं !
छुआ करता हूँ 
उसे 
सपनों में ही
मैं !
ऐसा भाग्य लेकर 
मैं क्यों नहीं जन्मा
कि
अंकशायिनी बना सकूँ
अपनी प्रियतमे को
मैं !
अभिलाषाओं का दमन
कब तक करूँ ??
अपने भाग्य पर विलाप 
कब तक करूँ ??
इन सबकी परिणति
अंततः
क्या है 
थोडा सा हँसा कर
क्यों रुलाता है मुझे ईश्वर ??
क्यों नहीं हर लेता
वो प्राण मेरे ??
यदि दे नहीं सकता
वो मुझे अधिकार मेरे ??
                                   --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव       

2 टिप्‍पणियां:

  1. सच बुहत हिर्दये स्पर्शी कविता है .......कविता मे दर्द है विरह और प्रेम बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  2. थोडा सा हँसा कर
    क्यों रुलाता है मुझे ईश्वर ??
    क्यों नहीं हर लेता
    वो प्राण मेरे ??
    यदि दे नहीं सकता
    वो मुझे अधिकार मेरे ??

    vivashta ka bahubi chitran hua h sanjay ji ...

    जवाब देंहटाएं