सुनिए जी इक बात कहता हूँ आपसे !
करता हूँ मोहब्बत बेहिसाब आपसे !!
जिस दिन से देखा है निगाहों ने आपको !
परेशां-परेशां रहता है दिल ये आपसे !!
आपके इन्कार का नतीजा है शायद ये !
ख्वाबों में ही करता हूँ प्यार मैं आपसे !!
लरजे-लरजे हैं ख्वाब मेरी पलकों पे !
हकीकत के रंग माँगते हैं ये आपसे !!
जी चाहता है रख दूँ इक चुम्बन लबों पे !
खफा हो जाएँगी सोच के दूर हूँ आपसे !!
करता हूँ मोहब्बत बेहिसाब आपसे !
सुनिए जी इक बात कहता हूँ आपसे !!
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
जी चाहता है रख दूँ इक चुम्बन लबों पे !
जवाब देंहटाएंखफा हो जाएँगी सोच के दूर हूँ आपसे !
wah bahut sunder...........!
लरजे-लरजे हैं ख्वाब मेरी पलकों पे !
जवाब देंहटाएंहकीकत के रंग माँगते हैं ये आपसे !!
sanjay ji.... bahut achchhi kalpana hai.....
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जिस दिन से देखा है निगाहों ने आपको !
जवाब देंहटाएंपरेशां-परेशां रहता है दिल ये आपसे !!
mast-mast-mast.............
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जवाब देंहटाएंवाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंआप बहुत अच्छा लिखतें हैं और गहरा भी.
बधाई.
फुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंभाष्कर जी, हरीश जी, संगीता जी, आनंद जी, आभा जी, सुशील जी तथा रजनी जी.... मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद ...
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