तुम सामने बैठी रहो मैं उम्र गुज़ार दूंगा !
यूँ ही प्यार करती रहो ये दुआ मांग लूँगा !!
इश्क़ की बदली बन बरस जाओ तपते दिल पे !
हर इक बूँद को अमृत की मानिंद पी लूँगा !!
चाँदनी बन के उजाला कर दो दिल आँगन में !
तुम्हारी आँचल में झिलमिलाते सितारे भर दूंगा !!
रख दो ज़रा हाथ तुम इस बेक़रार दिल पे !
जीवन में इक नींद तो चैन की सो लूँगा !!
मेरे इन्तकाल के वक़्त मेरे पहलू में रहना ज़रूर !
तिरे ज़िस्म की ख़ुश्बू से कुछ पल और जी लूँगा !!
क्या ही अच्छा हो गर तेरे गम मेरे हो जाएँ !
ज़िन्दगी की मकसद हुई पूरी ये सोच लूँगा !!
ज़िन्दगी भर यूँ ही हँसती मुस्कुराती रहो सनम !
तेरी ख़ुशी की खातिर खूं के चराग़ जला दूंगा !!
यूँ ही प्यार करती रहो ये दुआ मांग लूँगा !
तुम सामने बैठी रहो मैं उम्र गुज़ार दूंगा !!
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
इश्क़ की बदली बन बरस जाओ तपते दिल पे !
जवाब देंहटाएंहर इक बूँद को अमृत की मानिंद पी लूँगा !!
bahut khubsurat rachna h sanjay ji....
mohabbat bhari ghazal ..... maza aa gaya padh kar....
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