प्रकृति की पंखुड़ियाँ
समर्पित खुद के माज़ी के बेशकीमती लम्हातों को .....
बुधवार, 9 मार्च 2011
कथ्य-१०
हर ज़िन्दगी
मंजिल को पा लेगी --
ज़रूरी तो नहीं,
कुछ जिंदगियाँ
अधूरी कहानियों की तरह
बिखर भी जाती हैं .......
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