अभी अभी तेरा ख्याल आया है दिल में
तिरे इश्क का अक्श समाया है दिल में
पर लग गए आजकल मेरी मोहब्बत के
तू क्या आ गया है रहने मिरे दिल में
हर पल रहता है इंतजार तिरी सोहबत का
कहीं खो न जाये तू रकीब के दिल में
छू कर इक बार फिर दूर हो गए थे
बस गयी है तिरे होठों की अदा दिल में
आओ चलें वादी-ए-इश्क की सफ़र में हम
बस ज़रा हौसला जुटा लो तुम अपने दिल में
कौन है असरदार ज्यादा बताओ ज़रा
मेरी ग़ज़ल और तुम्हारी आँखों के तिल में
तिरे इश्क का अक्श समाया है दिल में
अभी अभी तेरा ख्याल आया है दिल में
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें