शनिवार, 9 जुलाई 2011

तेरा ख्याल

अभी अभी तेरा ख्याल आया है दिल में
तिरे इश्क का अक्श समाया है दिल में


पर लग गए आजकल मेरी मोहब्बत के
तू क्या आ गया है रहने मिरे दिल में


हर पल रहता है इंतजार तिरी सोहबत का
कहीं खो न जाये तू रकीब के दिल में


छू कर इक बार फिर दूर हो गए थे
बस गयी है तिरे होठों की अदा दिल में


आओ चलें वादी-ए-इश्क की सफ़र में हम
बस ज़रा हौसला जुटा लो तुम अपने दिल में


कौन है असरदार ज्यादा बताओ ज़रा
मेरी ग़ज़ल और तुम्हारी आँखों के तिल में


तिरे इश्क का अक्श समाया है दिल में
अभी अभी तेरा ख्याल आया है दिल में

                          --- संजय स्वरुप श्रीवास्तव


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