तेरी यादें साथ होने से सफ़र आसां होता है
तेरी महक साथ हो तो साँस लेना आसां होता है
जब-जब तुम मेहरबां होती हो मुझ पे
जागती आँखों से ख्वाब देखना आसां होता है
वादे जब भी निभाती हो तब
शब से सहर होना आसां होता है
मत बंद करो दरवाज़े मयखाने के
इन आँखों से पी के बहकना आसां होता है
रोजाना आया करो बन संवर के महफ़िल में
तुझे देख परवानों का जलना आसां होता है
तेरी महक साथ हो तो साँस लेना आसां होता है
तेरी यादें साथ होने से सफ़र आसां होता है
--- संजय स्वरुप श्रीवास्तव
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